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एलीपज क जवाब

22 फुन तेमान क एलीपज जवाब देत भए कहेस।

“परमेस्सर क कउनो भी मनई सहारा नाहीं दइ सकत,
    हिआँ तलक कि उ भी जउन बहोत बुद्धिमान मनई होइ परमेस्सर बरे हितकर नाहीं होइ सकत।
अगर तू उहइ किहा जउन उचित रहा एहसे सर्वसक्तीमान परमेस्सर क आनन्द नाहीं मिली,
    अउर अगर तू खरा रहा हवा तउ एहसे ओका पछू नाहीं मिली।
अय्यूब तोहका परमेस्सर काहे सजा देत ह अउर काहे तोह पइ दोख लगावत ह?
    का इ एह बरे कि तू भक्त अहा।
नाहीं, इ सबइ एह बरे कि तू बहोत स पाप किहा ह, अय्यूब,
    तोहार पाप नाहीं रुकत अहइँ।
अय्यूब, होइ सकत ह कि तू आपन कउनो भाई क कछू चिज बिना कउनो कारण क गिरवी रख सकत ह।
    होइ सकत ह कि तू कउनो दीन मनइ क ओढ़ना रख लिहे ह्वा अउर ओनका नंगा बना किहे हवा्।
तू थके-माँदे लोगन क पानी नाहीं दिहा,
    तू भुखान मनइयन क भोजन नाहीं दिहा।
अय्यूब, अगर तू सक्तीसाली अउ धनी रह्या, तू ओन लोगन क सहारा नाहीं दिहा।
    तू बड़का जमींदार अउ समरथ वाला मनई रह्या।
मुला तू राँड़ अउरतन क बगइर कछू दिहे लउटाइ दिहा।
    अय्यूब, तू अनाथ गदेलन क लूट लिहा अउर ओनसे बुरा बेउहार किहा।
10 एह बरे तोहरे चारिहुँ कइँती जाल बिछा भवा अहइँ
    अउर तोहका एकाएक आवत विपत्तियन डेरावत हीं।
11 एह बरे घना अँधियारा तोहका ढाँक लिहस ह
    अउर एह बरे बाढ़ क पानी तोहका लीलत बाटइ।

12 “परमेस्सर अकास क सब स ऊँच हींसा मँ रहत ह।
    उ आपन जगह स सबन स ऊँच तारन क लखइ बरे खाले लखत ह।
13 मुला अय्यूब, तू का करत ह, ‘परमेस्सर कछू नाहीं जानत,
    करिया बदरन स कइसे परमेस्सर हमका जाँच सकत ह
14 धना बादर ओका छुपाइ लेइ हीं,
    एह बरे जब उ आकास क सबन ऊँच हींसा मँ बिचरत ह तउ हमका ऊपर अकासे स लखि नाहीं सकत।’

15 “अय्यूब, तू उ ही पुरानी राह पइ
    जेन पइ दुस्ट लोग चला करत हीं, चलत अहा।
16 आपन मउत क समइ स पहिले ही दुट्ठ लोग मर गएन।
    बाढ़ ओनका बहाइके लइ गइ रही।
17 इ सबइ उहइ लोग अहइँ जउन परमेस्सर स कहत हीं, ‘हमका अकेल्ले तजि द्या।’
    उ पचे सोचेन कि ‘सर्वसक्तीमान परमेस्सर हमार कछू नाहीं कइ सकत ह।’
18 मुला परमेस्सर ओन लोगन क कामयाब बनाएस ह अउर ओनका धनवान बनाइ दिहा।
    मुला मइँ उ ढंग स जेहसे दुस्ट सोचत हीं, अपनाइ नाहीं सकत हउँ।
19 सज्जन जब बुरे लोगन क नास देखत हीं, तउ उ पचे खुस होत हीं।
    पाप स रहीत लोग दुस्टन पइ हँसत हीं, अउर कहा करत हीं।
20 ‘हमार दुस्मन फुरइ नस्ट होइ गएन।
    आगी ओनके धने क बारि देत ह।’

21 “अय्यूब, अब खुद क तू परमेस्सर क अर्पित कइ दया, तब तू सान्ति पउब्या।
    अगर तू अइसा करा तउ तू धन्य अउर कामयाब होइ जाब्या।
22 ओकर सीख अपनाइ ल्या
    अउर ओकरे सब्द आपन मने मँ सुरच्छित रखा।
23 अय्यूब, अगर तू फुन सर्वसक्तीमान परमेस्सर क लगे आवा तउ फिन स पहिले जइसा होइ जाइ।
    तोहका अपने घरे स पाप क बहोत दूर करइ चाही।
24 तोहका सोना क धूरि क नाई
    अउर ओफीर क सोना क नदी क तराई क चट्टान क नाई समझइ चाही।
25 तब सर्वसक्तीमान परमेस्सर तोहरे बरे सोना
    अउर चाँदी बन जाइ।
26 तब तू बहोत खुस होब्या अउर तोहका सुख मिली।
    परमेस्सर क समन्वा तू बिना कउनो सर्म क मूँड़ि उठाइ सकब्या।
27 जब तू ओकर बिनती करब्या तउ उ तोर सुना करी,
    जउन प्रतिग्या तू ओहसे किहे रह्या, तू ओका पूरा कइ सकब्या।
28 जउन कछू तू करब्या ओहमाँ तोहका कामयाबी मिली,
    तोहरे रास्ते पइ प्रकास चमकी।
29 परमेस्सर अहंकारी जन क लज्जित करी,
    मुला परमेस्सर नम्र मनई क रच्छा करी।
30 परमेस्सर जउन मनई भोला नाहीं अहइ ओकर भी रच्छा करी,
    तोहरे हाथन क सफाई स ओका उद्धार मिली।”