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पौलुस को प्रेरितों की मान्यता

चौदह साल बाद मैं फिर से यरूशलेम गया। बरनाबास मेरे साथ था और तितुस को भी मैंने साथ ले लिया था। मैं परमेश्वर के दिव्य दर्शन के कारण वहाँ गया था। मैं ग़ैर यहूदियों के बीच जिस सुसमाचार का उपदेश दिया करता हूँ, उसी सुसमाचार को मैंने एक निजी सभा के बीच कलीसिया के मुखियाओं को सुनाया। मैं वहाँ इसलिए गया था कि परमेश्वर ने मुझे दर्शाया था कि मुझे वहाँ जाना चाहिए। ताकि जो काम मैंने पिछले दिनों किया था, या जिसे मैं कर रहा हूँ, वह बेकार न चला जाये।

परिणाम स्वरूप तितुस तक को, जो मेरे साथ था, यद्यपि वह यूनानी है, फिर भी उसे ख़तना कराने के लिये विवश नहीं किया गया। किन्तु उन झूठे बंधुओं के कारण जो लुके-छिपे हमारे बीच भेदिये के रूप में यीशु मसीह में हमारी स्वतन्त्रता का पता लगाने को इसलिए घुस आये थे कि हमें दास बना सकें, यह बात उठी किन्तु हमने उनकी अधीनता में घुटने नहीं टेके ताकि वह सत्य जो सुसमाचार में निवास करता है, तुम्हारे भीतर बना रहे।

किन्तु जाने माने प्रतिष्ठित लोगों से मुझे कुछ नहीं मिला। (वे कैसे भी थे, मुझे इससे कोई अंतर नहीं पड़ता। बिना किसी भेदभाव के सभी मनुष्य परमेश्वर के सामने एक जैसे हैं।) उन सम्मानित लोगों से मुझे या मेरे सुसमाचार को कोई लाभ नहीं हुआ। किन्तु इन मुखियाओं ने देखा कि परमेश्वर ने मुझे वैसे ही एक विशेष काम सौंपा है जैसे पतरस को परमेश्वर ने यहूदियों को सुसमाचार सुनाने का काम दिया था। किन्तु परमेश्वर ने ग़ैर यहूदी लोगों को सुसमाचार सुनाने का काम मुझे दिया। परमेश्वर ने पतरस को एक प्रेरित के रूप में काम करने की शक्ति दी थी। पतरस ग़ैर यहूदी लोगों के लिए एक प्रेरित है। परमेश्वर ने मुझे भी एक प्रेरित के रूप में काम करने की शक्ति दी है। किन्तु मैं उन लोगों का प्रेरित हूँ जो यहूदी नहीं हैं। इस प्रकार उन्होंने मुझ पर परमेश्वर के उस अनुग्रह को समझ लिया और कलीसिया के स्तम्भ समझे जाने वाले याकूब, पतरस और यूहन्ना ने बरनाबास और मुझसे साझेदारी के प्रतीक रूप में हाथ मिला लिया। और वे सहमत हो गये कि हम विधर्मियों के बीच उपदेश देते रहें और वे यहूदियों के बीच। 10 उन्होंने हमसे बस यही कहा कि हम उनके निर्धनों का ध्यान रखें। और मैं इसी काम को न केवल करना चाहता था बल्कि इसके लिए लालायित भी था।

पौलुस की दृष्टि में पतरस अनुचित

11 किन्तु जब पतरस अन्ताकिया आया तो मैंने खुल कर उसका विरोध किया क्योंकि वह अनुचित था। 12 क्योंकि याकूब द्वारा भेजे हुए कुछ लोगों के यहाँ पहुँचने से पहले वह ग़ैर यहूदियों के साथ खाता पीता था। किन्तु उन लोगों के आने के बाद उसने ग़ैर यहूदियों से अपना हाथ खींच लिया और स्वयं को उनसे अलग कर लिया। उसने उन लोगों के डर से ऐसा किया जो चाहते थे कि ग़ैर यहूदियों का भी ख़तना होना चाहिए। 13 दूसरे यहूदियों ने भी इस दिखावे में उसका साथ दिया। यहाँ तक कि इस दिखावे के कारण बरनाबास तक भटक गया। 14 मैंने जब यह देखा कि सुसमाचार में निहित सत्य के अनुसार वे सीधे रास्ते पर नहीं चल रहे हैं तो सब के सामने पतरस से कहा, “जब तुम यहूदी होकर भी ग़ैर यहूदी का सा जीवन जीते हो, तो फिर ग़ैर यहूदियों को यहूदियों की रीति पर चलने को विवश कैसे कर सकते हो?”

15 हम तो जन्म के यहूदी हैं। हमारा पापी ग़ैर यहूदी से कोई सम्बन्ध नहीं है। 16 फिर भी हम यह जानते हैं कि किसी व्यक्ति को व्यवस्था के विधान का पालन करने के कारण नहीं बल्कि यीशु मसीह में विश्वास के कारण नेक ठहराया जाता है। हमने इसलिए यीशु मसीह का विश्वास धारण किया है ताकि इस विश्वास के कारण हम नेक ठहराये जायें, न कि व्यवस्था के विधान के पालन के कारण। क्योंकि उसे पालने से तो कोई भी मनुष्य धर्मी नहीं होता।

17 किन्तु यदि हम जो यीशु मसीह में अपनी स्थिति के कारण धर्मी ठहराया जाना चाहते हैं, हम ही विधर्मियों के समान पापी पाये जायें तो इसका अर्थ क्या यह नहीं है कि मसीह पाप को बढ़ावा देता है। निश्चय ही नहीं। 18 यदि जिसका मैं त्याग कर चुका हूँ, उस रीति का ही फिर से उपदेश देने लगूँ तब तो मैं आज्ञा का उल्लंघन करने वाला अपराधी बन जाऊँगा। 19 क्योंकि व्यवस्था के विधान के द्वारा व्यवस्था के लिये तो मैं मर चुका ताकि परमेश्वर के लिये मैं फिर से जी जाऊँ मसीह के साथ मुझे क्रूस पर चढ़ा दिया है। 20 इसी से अब आगे मैं जीवित नहीं हूँ किन्तु मसीह मुझ में जीवित है। सो इस शरीर में अब मैं जिस जीवन को जी रहा हूँ, वह तो विश्वास पर टिका है। परमेश्वर के उस पुत्र के प्रति विश्वास पर जो मुझसे प्रेम करता था, और जिसने अपने आप को मेरे लिए अर्पित कर दिया। 21 मैं परमेश्वर के अनुग्रह को नहीं नकार रहा हूँ, किन्तु यदि धार्मिकता व्यवस्था के विधान के द्वारा परमेश्वर से नाता जुड़ा पाता तो मसीह बेकार ही अपने प्राण क्यों देता।

येरूशालेम में सम्मेलन

तब चौदह वर्ष बाद मैं बारनबास के साथ दोबारा येरूशालेम गया. इस समय मैं तीतॉस को भी अपने साथ ले गया. मैं एक ईश्वरीय प्रकाशन के उत्तर में वहाँ गया था और मैंने उनको वही ईश्वरीय सुसमाचार दिया, जिसका प्रचार मैं अन्यजातियों के बीच कर रहा हूँ किन्तु गुप्त रूप से, केवल नामी व्यक्तियों के बीच ही—इस भय से कि कहीं मेरी पिछली दौड़-धूप व्यर्थ न हो जाए. किसी ने भी मेरे साथी तीतॉस को ख़तना के लिए बाध्य नहीं किया, यद्यपि वह यूनानी है. यह प्रश्न उन पाखण्डियों के कारण उठा था, जो हमारे बीच चुपके से घुस आए थे कि मसीह येशु में हमारी स्वतंत्रता का भेद लें और हमें दासत्व में डाल दें. हम एक क्षण के लिए भी उनके आगे न झुके कि तुममें विद्यमान ईश्वरीय सुसमाचार की सच्चाई सुरक्षित रहे.

इसका मेरे लिए कोई महत्व नहीं कि वे, जो नामी थे, पहले क्या थे. परमेश्वर भेद-भाव करनेवाला नहीं हैं. मेरे सन्देश में उन नामी व्यक्तियों का कोई योगदान नहीं था. इसके विपरीत जब उन्होंने यह देखा कि अख़तनितों के लिए ईश्वरीय सुसमाचार मुझे उसी प्रकार सौंपा गया जिस प्रकार ख़तनितों के लिए पेतरॉस को; क्योंकि जिन्होंने ख़तनितों के बीच पेतरॉस की प्रेरिताई की सेवा में प्रभावशाली रीति से काम किया, उन्होंने अख़तनितों के बीच प्रेरिताई की सेवा में मुझ में भी प्रभावशाली रीति से काम किया; मुझे मिले अनुग्रह को पहचानकर याक़ोब, कैफ़स तथा योहन ने, जो कलीसिया के स्तम्भ के रूप में जाने जाते थे, बारनबास और मेरी ओर सहभागिता का दायाँ हाथ बढ़ाया कि हम अन्यजातियों में और वे ख़तनितों में जाएँ. 10 उन्होंने हमसे सिर्फ यही विनती की कि हम निर्धनों की अनदेखी न करें—ठीक यही तो मैं भी चाहता था!

पेतरॉस के प्रति पौलॉस का विरोध

11 जब कैफ़स अन्तियोख़ नगर आए, मैंने उनके मुख पर उनका विरोध किया क्योंकि उनकी गलती साफ़-साफ़ थी. 12 याक़ोब की ओर से कुछ लोगों के आने से पहले तो वह अन्यजातियों के साथ खान-पान में सम्मिलित होते थे किन्तु याक़ोब के लोगों के यहाँ आने पर वह ख़तनितों के समूह के भय से अलग हो कर अन्यजातियों से दूरी रखने लगे. 13 बाकी यहूदी भी उनके साथ इस कपट में शामिल हो गए—यहाँ तक कि बारनबास भी!

14 जब मैंने यह देखा कि उनका स्वभाव ईश्वरीय सुसमाचार के भेद के अनुसार नहीं है, मैंने सबके सामने कैफ़स से कहा, “यदि स्वयं यहूदी, होकर आपका स्वभाव यहूदियों के समान नहीं परन्तु अन्यजातियों के समान है, तो आप अन्यजातियों को यहूदियों जैसे स्वभाव के लिए बाध्य कैसे कर सकते हो?

पौलॉस द्वारा प्रचारित ईश्वरीय सुसमाचार

15 “आप और मैं जन्म से यहूदी हैं—अन्यजातियों के पापी वंशज नहीं. 16 फिर भी हम यह जानते हैं कि परमेश्वर की दृष्टि में मनुष्य मात्र मसीह येशु में विश्वास करने के द्वारा ही धर्मी ठहरता है, न कि व्यवस्था का पालन करने के द्वारा, इसलिए हमने भी मसीह येशु में विश्वास किया कि हम मसीह में विश्वास करने के द्वारा धर्मी ठहराए जाएँ, न कि व्यवस्था का पालन करने के द्वारा—क्योंकि व्यवस्था का पालन करने से कोई भी मनुष्य धर्मी ठहराया नहीं जाता.

17 “किन्तु, यदि हम मसीह में धर्मी ठहराए जाने के लिए प्रयास करने पर भी पापी ही पाए जाते हैं, तो क्या मसीह पाप के पालन-पोषण करने वाले हैं? बिलकुल नहीं! 18 यदि मैं उसी को दोबारा बनाता हूँ, जिसे मैंने गिरा दिया था, तो मैं स्वयं को ही अपराधी साबित करता हूँ.

19 “क्योंकि व्यवस्था के द्वारा मैं व्यवस्था के लिए मर गया कि मैं परमेश्वर के लिए जिऊँ. 20 मैं मसीह के साथ क्रूस पर चढ़ाया जा चुका हूँ. अब से वह, जो जीवित है, मैं नहीं परन्तु मसीह हैं, जो मुझमें जीवित हैं. अब वह जीवन, जो मैं शरीर में जी रहा हूँ, परमेश्वर के पुत्र में विश्वास करते हुए जी रहा हूँ, जिन्होंने मुझसे प्रेम किया और स्वयं को मेरे लिए बलिदान कर दिया. 21 मैं परमेश्वर के अनुग्रह को व्यर्थ नहीं कर रहा, क्योंकि यदि व्यवस्था धार्मिकता का कारण होता, तब मसीह का प्राण त्यागना व्यर्थ हो जाता!”