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उड़त भवा गोल लपटा पत्रक

मइँ फुन निगाह ऊँच किहेउँ अउर मइँ एक ठु उड़त भवा लपटा पत्रक लखेउँ। सरगदूत मोहसे पूछेस, “तू का लखत अहा?”

मइँ जवाब दिहेउँ, “मइँ एक ठु उड़त भवा लपटा पत्रक लखत हउँ जउन तीस फुट लम्बा अउ पन्द्रह फुट चउड़ा अहइ।”

तब्बइ उ मोहसे कहेस, “उ लपटा पत्रक पइ एक सराप लिखा बा जउन पूरा धरती पइ फेंलिहीं। लपटा पत्रक क एक कोना मँ लिखा अहइ, ‘हर कउनो जउन चोर अहइ भेज दीन्ह जाब्या।’ दूसर कइँती लिखा भवा अहइ, हर कउनो जउन लबार प्रतिग्या करिही भेज दीन्ह जाब्या। सर्वसक्तीमान यहोवा कहत ह, ‘मइँ इ सराप भेजेउँ ह। इ मोर नाउँ लेइके हर चोरन क घरे अउर ओन लोगन क घरे जउन गलत प्रतिग्या करत ह, घुसब। इ सराप ओकरे घरे मँ रहब अउर ओकरे घरे क पाथर अउ काठ दुइनउँ क बरबाद करब।’”

मेहरारू अउ टोकरी

तब मोर संग बात करइवाला सरगदूत बाहेर आवा। उ मोहसे कहेस, “नज़र उठा अउ लखा। का तू जानत ह कि हमार कइँती का अवात ह”

मइँ कहेउँ, “इ का अहइ?”

उ कहेस, “उ मापक टोकरी अहइ।” तउ उ कहेस, “उ टोकरी समुचइ धरती क दोख क प्रस्तुत करब।”

तब टोकरी क ढकना जउन सीसा बना रहा उठावा गवा, अउर हुवाँ टोकरी क भितरे एक मेहरारू बइठी रहा। अउर उ कहेस, “इ मेहरारू बुराई प्रस्तुत करत अहइ।” एह बरे उ ओका टोकरी मँ धकेल दिहस अउ सीसा क ढकना स ओकरे मुँहे बन्द कइ दिहेस। तब मइँ नज़र उठाएस अउ लखेस कि दुइ मेहररूअन हमार कइँती आवत हीं। उ सारस क नाईं पखना रखेत रहा। उ पचे आपन पखनन क हवा क पड़करइ बरे फइलाएस। उ पचे टोकरी क लिए भए हवा मँ उड़त रहिन। 10 तब मइँ सरगदूत स पूछेउँ कि कउन मोसा बात किहे रहेन, “उ पचे टोकरी क कहाँ लइ जात अहइँ?”

11 उ मोहसे कहेस, “उ सबइ एका सिनार मँ लइ जात ह। हुवाँ उ पचे एक ठु घर बनाब। जब घर तइयार होइ जाइ, तउ उ पचे उ टोकरी क ओकरे जगह पइ धरिहीं।”