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कउनो चूक जिन करा

हे मोर पूत, जदि तू बगैर समुझबूझिके कउनो अजनबी मनइ क बदले मँ कउनो क जमानत दिहा ह या कउनो स कउनो बचन किहस ह तउ तू आपन ही कहनी क जालि मँ फँसि गवा अहा, तू आपन मुँह क ही सब्दन क पिंजरे मँ बंद होइ गवा अहा। हे मोर पूत, काहेकि तू अउरन क हाथन क पुतला होइ गवा ह। तू आपन क रच्छा बरे अइसा ही करा जइसा मइँ कहत हउँ। ओन लोगन क निअरे जा अउ विनम्र होइके आपन पड़ोसियन स आग्रह करा। आपन आँखिन क आराम जिन करइ द्या। आपन आँखियन क पलक झपकी तलक न लइ द्या। खुद क हरिणी क नाईं या सिकारी क हाथे स भागा भवा कउनो पंछी क नाईं आजाद कइ ल्या।

आलसी जिन बना

अरे ओ आलसी, चोंटी क लगे जा। ओकर कार्य विधि लखा अउर ओहसे सीख ल्या। ओकर न तउ कउनो नायक अहइ, न ही कउनो निरीच्छक, न ही कउनो सासक अहइ। फुन भी उ गरमी मँ खइया क बटोरत ह अउ कटनी क समइ अन्न क दाना बटोरत ह।

अरे ओ सुस्त मनइ, कब तलक तू हिआँ पड़ा रहब्या? आपन नींद स तू कब जाग उठब्या? 10 तू तनिक सोब्या, तनिक झपकी लेब्या, तनिक सुस्ताइ बरे आपन हाथन पइ हाथ धइ लेब्या 11 अउर बस तोहका गरीबी लुटेरा क नाईं आइके घेरी अउर अभाव तोहका हथियार स लैस डाकोअन क नाई घेर लेइ।

दुट्ठ जन

12 नीच अउ दुट्ठ मनइ उ होत ह जउन धोका दइवाले बातन बोलत भवा फिरत रहत ह। 13 जउन आँख मारइ क इसारा करत ह अउर आपन अँगुरियन अउर पैरन स संकेत देत ह। 14 उ सडयंत्र रचत ह अउर हमेसा बहस व मुबाहिसा करत ह। 15 एह बरे ओह पइ एकाएक महानास गिरी अउर फउरन नस्ट होइ जाइ। ओकरे लगे बनइ क उपाय नाहीं होइ।

उ सात बातन जेनसे यहोवा घिना करत ह

16 यहोवा छ: चिजियन स घिना करत ह, अउर सातवे चीज ओकर बरे घृणित अहइ।
17     गर्व स भरी आँखिन, झूठ स भरी वाणी, उ सबइ हाथन जउन निदोर्ख लोगन क हतियारा अहइँ।
18     अइसा हिरदय जउन सडयंत्र रचत रहत ह, उ सबइ गोड़ जउन बुराइ क मारग पइ तुरन्त दउड़ पड़त हीं।
19     उ लबार गवाह, जउन लगातार झूठ उगलत ह अउर अइसा मनई जउन भाइयन क बीच फूट डावइ।

दुराचार क खिलाफ चिताउनी

20 हे मोर पूत, आपन बाप क आग्या क माना अउर आपन महतारी क सिच्छा क कबहुँ जिन तजा। 21 आपन हिरदय पइ ओनका हमेसा ही बाँधे रहा अउर ओनका आपन गटइया क हार बनाइ ल्या। 22 जब तू अगवा बढ़ब्या, उ पचे राह देखइहीं। जब तू सोइ जाब्या, उ पचे तोहार रखवारी करिहीं अउर जब तू जागब्या, उ पचे तोहसे बातन करिहीं।

23 काहेकि आदेस दीपक क नाई अहइँ अउर सिच्छा एक जोति क नाई हइ। अनुसासन क डाँट फटकार तउ जिन्नगी क मारग अहइ। 24 उ सबइ तोहका चरित्रहीन मेहरारू स अउर बिभिचारणी क फुसलाहट स रच्छा करत हीं। 25 तू आपन मन क ओकर सुन्नर क चाह जिन करइ द्या अउर ओकर आँखिन क जादू क सिकार जिन बना। 26 काहेकि उ रण्डी तउ तोहका रोटी-रोटी क मोहताज कइ देइ। मुला उ कुलटा तउ तोहार जिन्नगी हर लेइ। 27 का इ होइ सकत ह कि कउनो केउ क गोदी मँ आगी रखि देइ अउर ओकर ओढ़ना फुन भी तनिकउ भी न जरइ? 28 दहकत भए कोएले क अंगारन पइ का कउनो मनई अपन गोड़वन क बगैर झुरसाए भए चल सकत ह 29 उ मनई अइसा ही अहइ जउन कउनो दूसर क पत्नी स समागम करत ह। अइसी पइ मेहरारू क जउन भी कउनो छुइ, उ बगैर दण्ड पाए नाहीं रहि पाइ।

30-31 अगर कउनो चोर कबहुँ भूखन मरत होइ, अउर उ भूख मिटावइ बरे चोरी करइ तउ लोग ओहसे घिना नाहीं करिहीं। फुन भी अगर उ धरा जाइ तउ ओका सात गुना भरइ पड़त ह चाहे ओहसे ओकरे घरे क समूचा धन चुक जाइ। 32 मुला एक मनइ जउन दूसर क पत्नी क संग सारीरिक सम्बंध करत ह तउ ओकरे लगे विवेक क कमी अहइ। जउन मनइ अइसा करत ह उ खुद बरे विनास लावत ह। 33 प्रहार अउ अपमान ओकर भाग्य अहइ। ओकर कलंक कबहुँ नहीं धोइ जाइ। 34 काहेकि पति क ईर्स्या किरोध जगावत ह अउर जब उ एकर बदला लेइ तब उ ओह पइ दाया नाहीं करी। 35 उ कउनो नोस्कान क पूर्ति अंगीकार नाहीं करी अउर कउनो ओका केतना ही बड़ा लालच देइ, ओका उ अंगीकार किए बगैर ठुकराइ।