Add parallel Print Page Options

इस्राएल क 1,44,000 मनइयन

एकरे बाद धरती क चारउँ कोनन प चार सरगदूतन क मइँ खड़े देखेउँ धरती क चारउँ हवा क उ पचे पकड़े रहेन जइसे कि धरती प, समुद्दर प अथवा पेड़न प ओनमाँ स कउनउँ हवा चलइ न पावइ। फिन मइँ देखेउँ कि एक अउर सरगदूत अहइ जउन पूरब दिसा स आवत अहइ। उ जिअत परमेस्सर क मोहर लिहे रहा। अउर उ ओन चारउ सरगदूतन स जेनका धरती अउर आसमान क नस्ट कइ देइ क अधिकार दीन्ह ग रहा, जोर स पुकार क कहत रहा, “जब तक हमने अपने परमेस्सर क सेवकन क माथे प मोहर नाहीं लगाइ देइतन, तब तलक तू धरती, समुद्दर अउर पेड़न क नुकसान न पहुँचावा।”

फिन जउन मनइयन प मोहर लगाई ग रही, मइँ औनकइ तादाद सुनेउँ। उ 1,44,000 रहेन जेनकइ ऊपर मोहर लगाई ग रही, उ सब इस्राएल क सब परिवार समूहन स रहेन:

यहूदा क परिवार समूह क 12,000

रुबेन क परिवार समूह क 12,000

गाद क परिवार समूह क 12,000

आसेर परिवार समूह क 12,000

नप्ताली परिवार समूह क 12,000

मनस्से परिवार समूह क 12,000

समौन परिवार समूह क 12,000

लेवी परिवार समूह क 12,000

इस्साकार परिवार समूह क 12,000

जबूलून परिवार समूह क 12,000

यूसुफ परिवार समूह क 12,000

बिन्यामीन परिवार समूह क 12,000

भयंकर भीड़

एकरे बाद मइँ देखेउँ कि मोरे सामने एक बहुत बड़ी भीड़ रही जेकर कउनउँ गनती नाही कइ सकत रहा। इ भीड़ मँ हर जाति क, हर वंस क, हर कुल अउर हर भाखा क मनई रहेन। उ पचे उ सिंहासन अउर उ मेमना क आगे खड़ा रहेन। उ सबेन्ह सफेद चोगा पहिरे रहेन अउर अपने हाथे मँ खजूर क टहनी लिहे रहेन। 10 उ सबेन्ह बोलावत रहेन, “सिंहासन प बइठा हमरे परमेस्सर क जय होइ अउर मेमना क जय होइ।”

11 सभी सरगदूतन सिंहासन, बुजुर्गन अउर ओन चार प्रानीयन क घेरे खड़ा रहेन। सिंहासन क सामने झुकिके प्रणाम कइके ओन सरगदूतन परमेस्सर क आराधना किहेन। 12 उ पचे कहेन, आमीन हमरे परमेस्सर क, “स्तुति, महिमा, विवेक, धन्यवाद, समादर, पराक्रम अउर सक्ति हमेसा हमेसा होत रहइ। आमीन!”

13 तबहि ओन बुजुर्गन मँ स कउनउँ एक मोसे इ पूछेस, “इ सफेद चोगा पहिरे कउन मनई अहइँ अउर इ कहाँ स आए अहइँ?”

14 मइँ ओनका जवाब दिहेउँ, “मोर प्रर्भू तू तउ जनतइ अहा।”

इ सुनिके उ मोसे कहेस, “इ पचे उहइ मनई अही जउन कठोर अत्याचार क बीच स होइके आवत अहइँ उ सबेन्ह आपन चोगा मेमना क खून स धोइके सफेद अउर उज्जर करे अहइ। 15 इही बरे अउर इ पचे परमेस्सर क सिंहासन क समन्वा खड़ा अहइँ अउर ओनके मंदिर मँ दिन रात ओकर आराधना करत ही। जउन सिंहासन पर बइठा बा, उ ओन पर आपन छाया करी। 16 न तउ कबहूँ ओनका भूख सतावात ह अउर न तउ कबहूँ पियासा रहत ह। सूरज ओनकइ कछू नाहीं बिगाड़ पावत अउर न तउ चिलचिलात धूप ओनका कबहूँ तपावत ह। 17 काहेकि उ मेमना जउन सिंहासन क बीच मँ अहइ, ओनकइ देखभाल करी। अउर ओनकर चरवाहा होइ। उ ओनका जिन्दगी देइ वाले पानी क झरना क पास लइ जाई अउर परमेस्सर ओनकी आंखिन क आंसू क पोछ देई।”