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खरिहान

तब रूत क सास, नाओमी ओहसे कहेस, “हे मोर बिटिया, होइ सकत ह कि मइँ तोहरे बरे एक ठु नीक भतार अउर घर पाइ सकउँ! तउ मइँ तोहार बरे नीक होब। बोअज़ उपयुक्त मनई होइ सकतेन? बोअज़ हमार निचके क सम्बन्धी अहइ। तू ओकरी दासियन क संग काम किहा ह। आजु राति उ खरिहाने मँ काम करत रहा होइ। जा, नहा अउर नीक ओढ़ना पहिरा। मटकउना द्रव्य लगावा अउर खरिहने मँ जा। किन्तु बोअज़ क समन्वा तब तलक जिन पड़ा जब तलक उ राति क भोजन न कइ लेइ। खइया क खाइ क पाछे, उ अराम करइ बरे ओलरी। लखत रहा जेहसे तू इ जान सका कि उ कहाँ सोवत ह। हुवाँ जा अउर ओकरे गोड़े क ओढ़ना उघारा। तब ओलरी जा। उ तोसे कहब्या तोहका का करी चाही।”

तब रूत जवाब दिहस, “आप जउन करइ क कहति अहा, मइँ करबेउँ।”

एह बरे रूत खरिहाने मँ गइ। रूत उ सब किहस जउन ओकर सास ओहसे करइ क कहेस। खाइ अउर पिअइ क पाछे बोअज़ बहोत संतुट्ठ रहा। बोअज़ अन्न क ढेर क लगे ओलरइ गवा। तब रूत बहोत धीमे स ओकरे लगे गइ अउर उ ओकरे गोड़े क ओढ़न उघार दिहस। रूत ओकरे गोड़े क बगल मँ ओलर गइ।

करीब आधी रात क बोअज़ नींद मँ आपन करवट बदलेस अउर उ जाग पड़ा। उ बहोत चकित भवा। ओकरे गोड़न क निचके एक ठु मेहरारू ओलरी रही। बोअज़ पूछेस, “तू कउन अहा?”

उ कहेस, “मइँ तोहार नउकर लड़की रूत अहउँ। आपन सरच्छा क ओढ़ना मोरे ऊपर फइला द्या। तू मोर रच्छक अहा।”

10 तब बोअज़ कहेस, “हे जुवती, यहोवा तोहका आसीर्बाद देइ। तू मोह पइ बिसेस कृपा किहा ह। तोहार इ कृपा मोरे बरे ओहसे भी जियादा अहइ जउन तू सुरूआत मँ नाओमी क बरे देखाए रह्या। तू बियाह बरे कउनो भी धनी या गरीब नउजवान क खोज कइ सकत रहिउँ, मुला तू वइसा नाहीं किहा। 11 जुवती, अब डेराअ नाहीं। मइँ उहइ करब जउन तू चाहति अहा। मोरे नगर क सबहि लोग जानत हीं कि तू एक ठु नीक मेहरारू अहा। 12 अउर इ फुरि अहइ, कि मइँ तोहरे परिवार क निचके क सम्बंधी अहउँ। मुला एक दूसर मनई अहइ जउन तोहरे परिवार क मोहसे भी जियादा निचके क सम्बन्धी अहइ। 13 आजु क राति हिअँइ ठहरा। भिन्सारे हम पता लगाउब कि का उ तोहार मदद करी। जदि उ तोहका मदद देइ क फैसला लेत ह तउ बहोत नीक होइ। जदि उ तोहार मदद करइ स इन्कार करत ह, तउ यहोवा क जिन्नगी क सपथ लेइके मइँ प्रतिज्ञा करत हउँ कि मइँ तोहसे बियाह करब अउर एलीमेलेक क भुइँया क तोहरे बरे बेसाही के लउटाउब। एह बरे भिंसारे तलक हिअँइ सोआ रहा।”

14 एह बरे रूत बोअज़ क गोड़े क लगे भिंसारे तलक ओलरी रही। उ अँधियारा रहत ही उठी, एहसे पहिले क एतना प्रकास होइ कि लोग एक दूसरे क पहिचान सकइँ।

बोअज़ ओहसे कहेस, “हम एका कउनो क इ नाहीं बताउब कि तू पिछली रात हिआँ मोर लगे आई रहिउ।” 15 तब बोअज़ कहेस, “आपन ओढ़नी मोरे लगे लिआवा। अब, एका फइलाइके राखा।”

एह बरे रूत आपन ओढ़नी क फइलाइके राखेस अउर बोअज़ लगभग एक बुसल जौ ओकरी सास नाओमी क उपहार मँ दिहस। तब बोअज़ ओका रूत क ओढ़नी मँ बाँध दिहस अउर ओका ओकरी पीठ पइ रख दिहस। तब उ नगर क गवा।

16 रूत आपन सास, नाओमी क घर गइ। नाओमी दुआरे पइ आई अउर उ पूछेस, “बाहेर कउन अहइ?”

रूत घरे क भीतर गइ अउर उ नाओमी क हर बात जउन बोअज़ किहे रहा, बताएस। 17 उ कहेस, “बोअज़ इ जौ उपहार क रूप मँ तोहका दिहेस ह। बोअज़ कहेस कि आप क बरे उपहार लिए बिना मोका घर नाहीं जाइ चाही।”

18 नाओमी कहेस, “हे मोर बिटिया, तब तलक धीरा राख जब तलक हम इ सुनी कि का भवा। बोअज़ तब तलक आराम नाहीं करी जब तलक उ ओका नाहीं कइ लेत जे ओका करइ चाही। हम लोगन क दिन बीतइ क पहिले मालूम होइ जाइ कि का होइ।”