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35 सिरिफ मइँ ही देइवाला दण्ड अहउँ मइँ ही लोगन क अपराधन क बदला देत हउँ,
    जब अपराधन मँ ओनकइ गोड़वा फिसल जाइ,
काहेकि विपत्तिकाल ओनके निअरे अहइ
    अउर दण्ड समइ ओनका दौड़ि आइ।’

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