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इ सबइ दाऊद क पूत अउर यरूसलेम क राजा, उपदेसक क सब्द अहइँ।

उपदेसक क कहब अहइ कि हर चीज बेमतलब क अहइ अउर अकारथ अहइ। मतलब इ कि हर बात बियर्थ अहइ। इ जिन्नगी मँ लोग जउन कड़ी मेहनत करत हीं, ओहसे ओनका फुरइ का कउनो लाभ होत ह नाहीं।

वस्तुअन अपरिवर्तन सील अहइँ

एक पीढ़ी आवत ह अउर दूसर चली जात ह मुला संसार हमेसा अइसहिन बना रहत ह। सूरज उगत ह अउर फुन ढल जात ह अउर फुन सूरज हाली ही उहइ ठहर स उदय होइके जल्दी करत ह।

हवा दक्खिन दिसा कइँती बहत ह अउर हवा उत्तर कइँती बहइ लागत ह। हवा एक चक्र मँ घूमत रहत ह अउर फुन हवा जहाँ स चली रही वापस हुवँइ बहइ लागत ह।

सबहिं नदियन एक हीं जगह कइँती बार बार बहा करत ही। उ सबइ समुद्दर स आइके मिलत हीं, किन्तु फुन भी समुद्दर कबहुँ नाहीं भरत।

सबइ सब्दन कस्ट दायक अहइ; लोग ओहका पूरा-पूरा वर्णन नाहीं कइ सकतेन। हमेसा बोलत ही रहत हीं। सब्द हमरे काने मँ बार बार पड़त हीं मुला ओनसे हमार कान कबहुँ भी भरतेन नाहीं ह। हमार आँखिन भी, जउन कछू उ सबइ लखत हीं, ओहसे कबहुँ नाहीं अघातिन।

कछू भी नवा नाहीं बाटइ

सुरू स वस्तुअन जइसी रहिन वइसी ही बनी भई अहइँ। सब कछू वइसे ही होत रही, जइसे सदा स होत आवत अहइ। इ संसार मँ कछू भी नवा नाहीं अहइ।

10 कउनो मनई कहि सकत ह, “लखा, इ बात नई अहइ।” मुला उ बात तउ हमेसा स होत रही। उ तउ हमसे भी पहिले स होत रही।

11 उ सबइ बातन जउन पहिले घट चुकी अहइँ, ओनका लोग याद नाहीं करतेन अउर आगे भी लोग ओन बातन क याद नाहीं करिहीं जउन अब घटत अहइँ ओकरे बाद भी दूसर लोग ओन बातन क याद नाहीं रखिहीं जेनका ओनके पहिले क लोगन किहे रहेन।

12 मइँ उपदेसक, यरूलेम मँ इस्राएल क राजा भवा। 13 निहचय किहेउँ कि इ जिन्नगी मँ जउन कछू होत ह ओका बुद्धि क जरिए ढूँढउँ अउर जाँच पड़ताल करेउँ। इ एक दुःखद तरीका परमेस्सर मानव जाति क दिहेस ह ताकि उ नम्र होइ सकीं। 14 इ धरती पइ सबहिं वस्तुअन पइ मइँ निगाह डाएउँ अउर लखेउँ कि इ सब कछू बियर्थ अहइ। इ वइसा ही अहइ जइसे हवा क धरब। 15 तू ओन बातन क बदल नाहीं सकत्या। जदि कउनो बात टेंढ़ अहइ तउ तू ओका सोझ नाहीं कइ सकत्या अउर अगर कउनो वस्तु क लेइ चाहत तउ तू ओका नाहीं गिन सकत।

16 मइँ अपने आप स कहेउँ, “मइँ बहोत बुद्धिमान अहउँ। मोहसे पहिले यरूसलेम मँ जउन राजा लोग राज्ज किहेन ह, मइँ ओन सब स जियादा बुद्धिमान अहउँ। मइँ जानत हउँ कि असल मँ बुद्धि अउ गियान का अहइ।”

17 मइँ इ जानइ क निहचय किहेउँ कि मूर्खता स भरे चिन्तन स विवेक अउर गियान कउने तरह स स्रेस्ठ बाटइ। मुला मोका मालूम भवा कि विवेकी बनइ क प्रयास वइसा ही अहइ जइसे हवा क धरइ क जतन। 18 काहेकि जियादा गियान क संग हतासा भी उपजत ह। उ मनई जउन जियादा गियान पाइ जात ह उ जियादा दुःख भी पाइ जात ह।