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मनसेधू क बचन मेहरारू बरे

मोर प्रिये, तू बहोत सुन्नर अहा।
    घूँघट क ओट मँ तोहार आँखिन कबूतरे क आँखिन जइसी सरल अहइँ।
तोहार केस लम्बा अउ
    लहरात भवा अहइँ
जइसे बोकरी क बच्चन
    गिलाद क पहाड़ क ऊपर स नाचत उतरत होंइ।
तोहार दाँत एक भेड़न क झुण्ड जइसे अहइँ
    जउन धोइके निकर आई;
हरेक भेड़ जुड़ौवा बच्चन रखत हीं;
    ओकर बच्चन मँ स कउनो भी गाएब नाहीं होत हीं।
तोहार ओंठ लाल धागा जइसा अहइ।
    तोहार मुँह सुन्नर अहइ।
तोहार गाल घूँघट क खाले
    अनार क दुइ फाँकन क जइसी अहइँ।
तोहार गटइ पातर अउर ऊँच अहइ
    जइसा दाऊद क मीनार
जउन कि हज़ारन सुनहरी ढालन क संग
    पाथरन क कतारन क ऊपर बना अहइ।
    हर ढाल जोद्धन क अहइ।
तोहार दुई चूचियन जुड़वा दुई बाल हरिण जइसे अहइँ,
    जइसे जुड़वा कुरंग
    लिलियन क बीच चरत होइ।
मइँ गन्धरस क पहाड पइ जाब।
    मइँ पहाड़ी पइ तब तलक जाब
जब तलक सुबह की सुहावनी हवा न बहइ
    अउर अंधेरापन फीका न होइ जाइ।
मोर प्रिये, तू केतना अद्भुत अहा।
    कउनो दोख तोहार सुन्नरता क नाहीं लिहेस ह।
ओ मोर दुलहिन, लबानोन स आवा,
    लबानोन स मोर संग आइ जा,
मोरे साथ आइ जा, अमाना क चोटी स,
    सनीर क ऊँचाई स सेर क गुफन स
    अउर चीतन क पहाडन स आवा।
हे मोर बहिन, हे मोर दुलहिन,
    तू मोका उत्तेजित करति अहा।
तू मोर हिरदइ क आपन आँखिन क सिरिफ एक नज़र स
    अउर आपन माला क बस एक ही रतन स,
    कब्जा कइ लिहा ह।
10 मोर बहिन,[a] हे मोर दुलहिन,
    तोहार पिरेम केतना आनन्दप्रद अहइ!
तोहार पिरेम दाखरस स जियादा उत्तिम बाटइ,
    तोहार इत्र क सुगन्ध कउनो भी सुगन्धि स उत्तिम अहइ।
11 तोहारे ओंठन स मधु टपकत ह।
    तोहरी जीभ क खाले मँ सहद अउ दूध अहइ।
तोहारे ओढ़नन क गंध लबानोन क देवदारू जइसी अहइ।
12 मोर बहिन, हे मोर दुलहिन,
    तू ताला लगा भवा बाग जइसी अहइ।
तू रोका भवा तालाब क जइसा
    अउर बंद कीन्ह गवा फ़व्वारा जइसा अहइ।
13 तोहार अंग उ उपवन जइसे अहइँ
    जउन अनार अउर मोहक फलन स भरा होइ,
जेहमाँ मेंहदी अउर जटामासी क फूल भरा होइ;
14     जेहमाँ जटामासी, केसर,
मुस्क अउ दालचीनी अउर हर तरह क मसाला,
    गन्धरस, अगर अउ सबइ उत्तिम मसाला भरा होइँ।
15 तू एक फव्वारे क बा़ग क नाईं,
    एक ताज़ा पानी क कुवाँ क नाईं,
अउर एक झरना होई
    जउन लबानोन पहाड़ी स खाले बहत ह।

मेहरारू क बचन

16 जागा, हे उत्तर क हवा।
    आवा, तू दक्खिन पवन।
मोरे उपवन पइ बहा।
    जेहसे एकर मीठ, गन्ध चारिहुँ ओर फइल जाइ।
मोर प्रिय मोरे उपवन मँ प्रवेस करइ
    अउर उ एकर मीठ फल खाइ।

Footnotes

  1. 4:10 बहिन प्राचीन समाज मँ पतियन ब्याह क बन्धन क मज़बूत करइ बरे पत्नियन क “बहिन” क रूप मँ स्वीकार करत रहेन।