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दूसरे विश्वासियों के लिये भेंट

16 अब देखो, संतों के लिये दान इकट्ठा करने के बारे में मैंने गलातिया की कलीसियाओं को जो आदेश दिया है तुम भी वैसा ही करो। हर रविवार को अपनी आय में से कुछ न कुछ अपने घर पर ही इकट्ठा करते रहो। ताकि जब मैं आऊँ, उस समय दान इकट्ठा न करना पड़े। मेरे वहाँ पहुँचने पर जिस किसी व्यक्ति को तुम चाहोगे, मैं उसे परिचय पत्र देकर तुम्हारा उपहार यरूशलेम ले जाने के लिए भेज दूँगा। और यदि मेरा जाना भी उचित हुआ तो वे मेरे साथ ही चले जायेंगे।

पौलुस की योजनाएँ

मैं जब मकिदुनिया होकर जाऊँगा तो तुम्हारे पास भी आऊँगा क्योंकि मकिदुनिया से होते हुए जाने का कार्यक्रम मैं निश्चित कर चुका हूँ। हो सकता है मैं कुछ समय तुम्हारे साथ ठहरूँ या सर्दियाँ ही तुम्हारे साथ बिताऊँ ताकि जहाँ कहीं मुझे जाना हो, तुम मुझे विदा कर सको। मैं यह तो नहीं चाहता कि वहाँ से जाते जाते ही बस तुमसे मिल लूँ बल्कि मुझे तो आशा है कि मैं यदि प्रभु ने चाहा तो कुछ समय तुम्हारे साथ रहूँगा भी। मैं पिन्तेकुस्त के उत्सव तक इफिसुस में ही ठहरूँगा।

क्योंकि ठोस काम करने की सम्भावनाओं का वहाँ बड़ा द्वारखुला है और फिर वहाँ मेरे विरोधी भी तो बहुत से हैं।

10 यदि तिमुथियुस आ पहुँचे तो ध्यान रखना उसे तुम्हारे साथ कष्ट न हो क्योंकि मेरे समान ही वह भी प्रभु का काम कर रहा है। 11 इसलिए कोई भी उसे छोटा न समझे। उसे उसकी यात्रा पर शान्ति के साथ विदा करना ताकि वह मेरे पास आ पहुँचे। मैं दूसरे भाइयों के साथ उसके आने की प्रतीक्षा कर रहा हुँ।

12 अब हमारे भाई अपुल्लौस की बात यह है कि मैंने उसे दूसरे भाइयों के साथ तुम्हारे पास जाने को अत्यधिक प्रोत्साहित किया है। किन्तु परमेश्वर की यह इच्छा बिल्कुल नहीं थी कि वह अभी तुम्हारे पास आता। सो अवसर पाते ही वह आ जायेगा।

पौलुस के पत्र की समाप्ति

13 सावधान रहो। दृढ़ता के साथ अपने विश्वास में अटल बने रहो। साहसी बनो, शक्तिशाली बनो। 14 तुम जो कुछ करो, प्रेम से करो।

15 तुम लोग स्तिफनुस के घराने को तो जानते ही हो कि वे अखाया की फसल के पहले फल हैं। उन्होंने परमेश्वर के पुरुषों की सेवा का बीड़ा उठाया है। सो भाइयो। तुम से मेरा निवेदन है कि 16 तुम लोग भी अपने आप को ऐसे लोगों की और हर उस व्यक्ति की अगुवाई में सौंप दो जो इस काम से जुड़ता है और प्रभु के लिये परिश्रम करता है।

17 स्तिफ़नुस, फुरतुनातुस और अखइकुस की उपस्थिति से मैं प्रसन्न हूँ। क्योंकि मेरे लिए जो तुम नहीं कर सके, वह उन्होंने कर दिखाया। 18 उन्होंने मेरी तथा तुम्हारी आत्मा को आनन्दित किया है। इसलिए ऐसे लोगों का सम्मान करो।

19 एशिया प्रान्त की कलीसियाओं की ओर से तुम्हें प्रभु में नमस्कार। अक्विला और प्रिस्किल्ला। उनके घर पर एकत्र होने वाली कलीसिया की ओर से तुम्हें हार्दिक नमस्कार। 20 सभी बंधुओं की ओर से तुम्हें नमस्कार। पवित्र चुम्बन के साथ तुम आपस में एक दूसरे का सत्कार करो।

21 मैं, पौलुस, तुम्हें अपने हाथों से नमस्कार लिख रहा हूँ। 22 यदि कोई प्रभु में प्रेम नहीं रखे तो उसे अभिशाप मिले!

हे प्रभु, आओ![a]

23 प्रभु यीशु का अनुग्रह तुम्हें प्राप्त हो।

24 यीशु मसीह में तुम्हारे प्रति मेरा प्रेम सबके साथ रहे।

Footnotes

  1. 16:22 हमारे प्रभु आओ अरामिक भाषा में मारानाथा।

सहायता के लिए धनराशि सम्बन्धी निर्देश

16 अब पवित्र लोगों की सहायता के लिए धनराशि के सम्बन्ध में: इस विषय में मैंने, जो आज्ञा गलातिया प्रदेश की कलीसियाओं को दी थी, उन्हीं आज्ञाओं का पालन तुम भी करो. सप्ताह के पहिले दिन तुममें से हर एक अपनी आय के अनुसार कुछ धनराशि अलग रख छोड़े कि मेरे वहाँ आने पर तुम्हें धन इकट्ठा न करना पड़े. जब मैं वहाँ आऊँगा तुम्हारे द्वारा चुने गए व्यक्तियों को पत्रों के साथ भेज दूँगा कि वे इकट्ठा राशि को येरूशालेम पहुँचा दें. यदि मेरा जाना भी सही हुआ तो वे मेरे साथ जा सकेंगे.

व्यक्तिगत विनती

में मकेदोनिया यात्रा के बाद तुम्हारे पास आऊँगा क्योंकि मैं मकेदोनिया यात्रा की योजना बना रहा हूँ. सम्भवत: मैं आकर तुम्हारे साथ कुछ समय व्यतीत करूँ या पूरी शीत ऋतु ही कि तुम मुझे मेरे आगे के सफर की ओर, मैं जहाँ कहीं जाऊँ, विदा कर सको. मैं नहीं चाहता कि तुमसे केवल चलते-चलते मिलूँ परन्तु मेरी आशा है कि यदि परमेश्वर चाहें तो मैं तुम्हारे साथ कुछ समय व्यतीत करूँ. मैं पेन्तेकॉस्त पर्व तक इफ़ेसॉस नगर में ही रहूँगा क्योंकि मेरे लिए वहाँ उपयोगी सेवा का द्वार खुला है. इसके अतिरिक्त वहाँ मेरे अनेक विरोधी भी हैं.

10 जब तिमोथियॉस वहाँ आए तो यह सुनिश्चित करना कि वह तुम्हारे साथ निश्चिन्त रहे क्योंकि मेरे समान वह भी प्रभु के काम में जुड़ा है. 11 ध्यान रहे कि कोई उसे तुच्छ न समझे. उसे सकुशल विदा करना कि वह मेरे पास लौट आए. मैं अन्य भाइयों के साथ उसकी प्रतीक्षा में हूँ.

12 अब हमारे भाई अपोल्लॉस के सम्बन्ध में: मैंने उनसे बार-बार विनती की कि वह अन्य भाइयों के साथ तुम्हारे पास आएँ किन्तु वह इस समय यात्रा के लिए तैयार नहीं किन्तु सही अवसर प्राप्त होते ही वह वहाँ आएंगे.

13 जागते रहो, विश्वास में स्थिर रहो, निड़र बनो, निश्चय करो 14 तथा हर एक काम प्रेमभाव में ही करो.

15 स्तेफ़ानॉस के कुटुम्बियों के विषय में तो तुम्हें मालूम ही है कि वे आख़ेया प्रदेश के पहिले फल हैं. उन्होंने स्वयं को पवित्र लोगों की सेवा के लिए समर्पित किया हुआ है. इसलिए प्रियजन, मेरी तुमसे विनती है 16 कि तुम उनका तथा ऐसे व्यक्तियों का नेतृत्व स्वीकार करो, जो मेरे काम में सहायक तथा परिश्रम करते हैं. 17 स्तेफ़ानॉस, फ़ॉरतुनातॉस तथा अखियाकॉस का यहाँ आना मेरे लिए आनन्द का विषय है. उनके कारण तुम्हारी ओर से जो कमी थी, वह पूरी हो गई. 18 उनके कारण मेरे और तुम्हारे मन में नई ताज़गी का संचार हुआ है. ऐसे व्यक्तियों को मान्यता अवश्य दी जाए.

अभिनन्दन व आशीर्वचन

19 आसिया प्रदेश की कलीसियाओं का तुम्हें नमस्कार, अकुलॉस और प्रिस्का तथा उस कलीसिया की ओर से, जो उनके घर पर आराधना के लिए इकट्ठा होती है, प्रभु में तुम्हें बहुत-बहुत नमस्कार. 20 यहाँ सभी प्रियों की ओर से तुम्हें नमस्कार. पवित्र चुम्बन के साथ एक दूसरे का नमस्कार करो.

21 मैं, पौलॉस तुम्हें अपने हाथ से यह नमस्कार लिख रहा हूँ.

22 जो कोई प्रभु से प्रेम नहीं करता, वह शापित हो. हे हमारे प्रभु आ!

23 तुम पर प्रभु मसीह येशु का अनुग्रह हो.

24 मसीह येशु में मेरा प्रेम तुम पर हमेशा रहे, आमेन.