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नीक सामरी क कथा

25 तब एक धरम सास्तरी खड़ा भवा अउर ईसू क परीच्छा लेइ बरे ओसे पूछेस, “गुरु, अनन्त जीवन पावइ बरे मइँ का करउँ?”

26 ऍह पइ ईसू ओनसे कहेस, “व्यवस्था मँ का लिखा बाटइ? तू हुवाँ का पढ़त ह?”

27 धरम सास्तरी उत्तर दिहस, “‘तू आपन समूचा मन, सारी आतिमा, सारी सक्ती अउर सारी बुद्धि क संग आपन पर्भू स पिरेम करा।’(A) अउर ‘आपन पड़ोसी स भी वइसे ही पिआर करा, जइसे तू आपन खुद स करत ह।’”

28 तब ईसू ओसे कहेस, “तू ठीक जवाब दिहा ह। तउ तू अइसा ही करा अउर ऍहसे तू जीवित रहब्या।”

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