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यहूदी धर्मशास्त्रियों के विरोध में यीशु की चेतावनी

(मत्ती 23:1-36; मरकुस 12:38-40; लूका 11:37-54)

45 सभी लोगों के सुनते उसने अपने अनुयायिओं से कहा, 46 “यहूदी धर्मशास्त्रियों से सावधान रहो। वे लम्बे चोगे पहन कर यहाँ-वहाँ घूमना चाहते हैं, हाट-बाजारों में वे आदर के साथ स्वागत-सत्कार पाना चाहते हैं। और यहूदी आराधनालयों में उन्हें सबसे अधिक महत्त्वपूर्ण आसन की लालसा रहती है। दावतों में वे आदर-पूर्ण स्थान चाहते हैं। 47 वे विधवाओं के घर-बार लूट लेते हैं। दिखावे के लिये वे लम्बी-लम्बी प्रार्थनाएँ करते हैं। इन लोगों को कठिन से कठिन दण्ड भुगतना होगा।”

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शास्त्रियों और फ़रीसियों का पाखण्ड

(मत्ति 23:1-12; मारक 12:38-40)

45 सारी भीड़ के सुनते हुए मसीह येशु ने शिष्यों को सम्बोधित करते हुए कहा, 46 “उन शास्त्रियों से सावधान रहना, जो ढीले-ढाले, लम्बे-लहराते वस्त्र धारण किए हुए घूमते रहते हैं, जिन्हें सार्वजनिक स्थलों पर सम्मान भरे नमस्कार की इच्छा रहती है. उन्हें यहूदी सभागृहों में प्रधान आसन तथा भोज के अवसरों पर सम्मान के स्थान की आशा रहती है. 47 वे विधवाओं के घर हड़प लेते हैं तथा मात्र दिखावे के उद्देश्य से लम्बी-लम्बी प्रार्थनाएँ करते हैं. कठोर होगा इनका दण्ड!”

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