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यीशु का कथन: सब शिष्य उसे छोड़ देंगे

(मरकुस 14:27-31; लूका 22:31-34; यूहन्ना 13:36-38)

31 फिर यीशु ने उनसे कहा, “आज रात तुम सब का मुझमें से विश्वास डिग जायेगा। क्योंकि शास्त्र में लिखा है:

‘मैं गडेरिये को मारूँगा और
    रेवड़ की भेड़ें तितर बितर हो जायेंगी।’(A)

32 पर फिर से जी उठने के बाद मैं तुमसे पहले ही गलील चला जाऊँगा।”

33 पतरस ने उत्तर दिया, “चाहे सब तुझ में से विश्वास खो दें किन्तु मैं कभी नहीं खोऊँगा।”

34 यीशु ने उससे कहा, “मैं तुझ से सत्य कहता हूँ आज इसी रात मुर्गे के बाँग देने से पहले तू तीन बार मुझे नकार चुकेगा।”

35 तब पतरस ने उससे कहा, “यदि मुझे तेरे साथ मरना भी पड़े तो भी तुझे मैं कभी नहीं नकारूँगा।” बाकी सब शिष्यों ने भी वही कहा।

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शिष्यों की भावी निर्बलता की भविष्यवाणी

31 येशु ने शिष्यों से कहा, “आज रात तुम सभी मेरा साथ छोड़ कर चले जाओगे जैसा कि इस सम्बन्ध में पवित्रशास्त्र का लेख है:

“‘मैं चरवाहे का संहार करूँगा और,
    झुण्ड की सभी भेड़ें
तितर-बितर हो जाएँगी.’

32 हाँ, पुनर्जीवित किए जाने के बाद मैं तुमसे पहले गलील प्रदेश पहुँच जाऊँगा.”

33 किन्तु पेतरॉस ने येशु से कहा, “सभी शिष्य आपका साथ छोड़ कर जाएँ तो जाएँ किन्तु मैं आपका साथ कभी न छोड़ूँगा.”

34 येशु ने उनसे कहा, “सच्चाई तो यह है कि आज ही रात में, इसके पहले कि मुर्ग बाँग दे, तुम मुझे तीन बार नकार चुके होंगे.”

35 पेतरॉस ने दोबारा उनसे कहा, “मुझे आपके साथ यदि मृत्यु को भी गले लगाना पड़े तो भी मैं आपको नहीं नकारूंगा.” अन्य सभी शिष्यों ने यही दोहराया.

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